संज्ञा और सर्वनाम मे अन्तर या संज्ञा किसे कहते हैं / sangya or sabnam me anter likhe
संज्ञा और सर्वनाम के अन्तर को एक-एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें अथवा संज्ञा की परिभाषा लिखें।
उत्तर– संज्ञा-संज्ञा का कोशगत अर्थ है ‘नाम’। अतः संक्षेप में कहें तो किसी नाम को संज्ञा कहत है। यह नाम व्यक्ति, जाति, द्रव्य, स्थान, गुण, धर्म किसी का भी हो सकता है। जैसे-मोहन, सीता, वृक्ष, फूल, बाग, बनारस, लखनऊ, घोड़ा, मनुष्य, ऊँचाई, प्रेम, योग्यता आदि।
सर्वनाम – ‘सर्वनाम’ का शाब्दिक अर्थ है-‘ सबका नाम’। व्याकरण में ‘सर्वनाम’ एस शब्दा का कहत हैं जिसका प्रयोग सब प्रकार के नामों के लिए हो सके। दूसरे शब्दों में, जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं, उन्हें ‘सर्वनाम’ कहते हैं। जैसे मैं, तू।
अथवा, संज्ञा-किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नामों को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के पाँच भेद होते हैं-
(i) जातिवाचक संज्ञा-औरत, गाय, कलम, फूल आदि ।
(ii) व्यक्तिवाचक संज्ञा- राम रहीम, सूरज, पृथ्वी आदि।
(iii) भाववाचक संज्ञा-लड़कपन, बुढ़ापा, ईमानदारी, सरलता आदि।
(iv) समूहवाचक संज्ञा-सेना, वर्ग, सभा, परिवार, झुंड आदि ।
(v) द्रव्यवाचक संज्ञा सोना, घी, पानी, कपड़ा, लकड़ी आदि ।