yuva peedhee aur nasheele padaarth 250-300 Words Par Nibandh/ युवा पीढ़ी और नशीले पदार्थ पर 250-300 शब्द पर निबंध लिखें
भूमिका– अनादि काल से नशीले पदार्थों का सेवन किया जाता रहा है। कहते हैं कि देवता भी सोमरस पिया करते थे। लेकिन आज की युवा पीढ़ी यह समझने के लिए तैयार नहीं है कि तब वह शक्तिवर्धक के के रूप में ग्रहण किया जाता है। अनेक प्रकार की प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ भी हैं जो नशा प्रदान करती हैं जिसे अनुभवी वैद्य जानते-पहचानते हैं। नयी युवा पीढ़ी ने अपनी जिन्दगी में इन नशीले पदार्थों का सेवन जिस प्रकार करना शुरू कर दिया है उससे उसका भविष्य से अंधकारमय होता ही है, देश का भविष्य भी अंधकारमय हो रहा है। इससे नैतिकता, मूल्य, मानवता सबके सब नष्ट होते जा रहे हैं पाश्चात्य देशों की विकसित अर्थव्यवस्था की उपज यह भटकाव, मादक पदार्थों से जीवन-प्रेम को नष्ट करता हुआ विकासशील देशों में पहुँचा है। यदि समय रहते इसे रोका नहीं गया तो दिशाहीन युवा पीढ़ी के लिए विकरालतम समस्या बन जाएगा। मानसिक शांति के बहाने यह अशांति का पेय पदार्थ साबित होगा ,
युवाओं पर दुष्प्रभाव– पीनेवाले को पीने का बहाना चाहिए। कोई गम भुलाने को पीता है कोई पीने को मजबूर है। आज की युवा पीढ़ी काफी चिंताग्रस्त रह रही है। प्रकृति से दूर होती जा रही है। चिंता चिंता से बढ़कर है। उसे यह समझ नहीं है। बुरी संगति और अपनी इच्छाओं को बढ़ा लेना ही इसका मुख्य कारण है। लेकिन अनेक प्रकार के नशीले पदार्थों के सेवन से युवाओं का शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक और नैतिक पतन हो रहा है।
नशे के प्रकार- देश में उपजने वाले या उत्पादित तथा विदेश से आयातित नशीले पदार्थ अनेक प्रकार के हैं। गाँजा, भाँग और तम्बाकू खेतों में उगाए जाते हैं। स्प्रीट मिश्रित अनेक शराब नशीले पदार्थ के रूप में बाजारों में उपलब्ध हैं। कारखानों में नशीले पदार्थों के मिश्रण से अनेक दर्द निवारक और खाँसी की दवा बनती है। शक्तिवर्धक (टॉनिक) भी नशीले पदार्थयुक्त हैं। वहीं, हेरोईन, ब्राउन सूगर, हशीश, मारफीन, स्मैक, चरस, अफीम, डमेरौल आदि का प्रयोग खूब बढ़ता जा रहा है जो मारक है.
सामाजिक बुराई- आज नशीले पदार्थों का सेवन स्कूली छात्र/छात्राओं, छोटे-छोटे बच्चे और युवा खुलकर करने लगे हैं। सरकार को अच्छी-खासी राजस्व की उगाही लाइसेंसी दुकानों से मिल रही है। लेकिन नशा करने वाले युवा सदैव हानि में रहते हैं। जब कोई व्यक्ति नशा ले लेता है तो मान-मर्यादा का ख्याल भूल जाता है। मन से शर्म, संकोच सामाजिकता का भय समाप्त हो जाता है। नशा की पूर्ति के लिए युवा वर्ग चोरी-डकैती, हत्या, लूट और अपहरण आदि घृणित कार्य को अंजाम देने से भी नहीं हिचकता है। बैंक डाका, लूट, व्याभिचार, यौनाचार, बलात्कार, दुष्कर्म आदि कुकृत्यों में नशीले पदार्थों का बड़ा हाथ होता है।
उपहास -आज युवा पीढ़ी की नैतिक शिक्षा दिए जाने की आवश्यकता है। प्रचार-प्रसार के विभिन्न माध्यमों से ऐसे अनेक कार्यक्रम लाए जाएँ जिससे स्वस्थ मनोरंजन हों। माता-पिता को अधिक जिम्मेवारी लेने की अनिवार्य आवश्यकता है। कोई कानून और उपदेश प्रवचन कम लेकिन पारिवारिक वातावरण में सुधार लाने की ज्यादा आवश्यकता है।
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