दुर्गापूजा पर 250 शब्द मे निबंध लिखे । Durga Puja pr essay likhe
(क) दुर्गापूजा “
सर्वशक्ति महामाया दिव्यज्ञान स्वरूपिणी ।
नवदुर्गे, जगन्मातर, प्रणमामि मुहुर्मुहुः ||”
भारत की ‘पर्वो का देश’ कहा जाता है। शायद ही कोई महीना हो जिसमें कोई-न-कोई पर्व नहीं मनाया जाता हो। भारत के विभिन्न पर्वो में दुर्गापूजा का विशिष्ट स्थान है।दुर्गापूजा का पर्व आसुरी प्रवृत्तियों पर दैवी प्रवृत्तियों की विजय का पर्व है। प्रत्येक व्यक्ति के भीतर राम और रावण (सत और असत) की अलग-अलग प्रवृत्तियाँ हैं। इन दो अलग प्रवृत्तियों में निरंतर संघर्ष चलता रहता है। हम दुर्गापूजा इसीलिए मनाते हैं कि हम हमेशा अपनी सद्प्रवृत्तियों से असद्प्रवृत्तियों को मारते रहें। दुर्गापूजा को ‘दशहरा’ भी कहा जाता है : क्योंकि राम ने दस सिवाले रावण (दशानन) को मारा था।
दुर्गापूजा का महान् पर्व लगातार दस दिनों तक मनाया जाता है। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा (प्रथमा तिथि) को कलश स्थापना होती है और उसी दिन से पूजा प्रारंभ हो जाती है। दुर्गा की प्रतिमा में सप्तमी को प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है। उस दिन से नवमी तक माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना विधिपूर्वक की जाती है। श्रद्धालु प्रतिपदा से नवमी तक ‘दुर्गासप्तशती’ या ‘रामचरितमानस’ का पाठ करते हैं। कुछ लोग ‘गीता’ का भी पाठ करते हैं। कुछ श्रद्धालु हिंदू भक्त नौ दिनों तक ‘निर्जल उपवास’ करते हैं और अपने साधनात्मक चमत्कार से लोगों को अभिभूत कर देते हैं । सप्तमी से नवमी तक खूब चहल-पहल रहती है। देहातों की अपेक्षा- शहरों में विशेष चहल-पहल होती है। लोग झुंड बाँध बाँधकर मेला देखने जाते हैं। शहरों में बिजली की रोशनी में प्रतिमाओं की शोभा और निखर जाती है। विभिन्न पूजा समितियों की ओर से इन तीन रातों में गीत, संगीत और नाटकों के विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। शहरों की कुछ समितियाँ इस अवसर पर ‘व्यंग्य और क्रीड़ामूर्त्तियों’ की स्थापना करती हैं। इस दिन लोग अच्छा-अच्छा भोजन करते हैं और नए वस्त्र धारण करते हैं। इस दिन नीलकंठ (चिड़िया) का दर्शन शुभ माना जाता है। दुर्गापूजा सांस्कृतिक पर्व है। हमें वैसा कुछ आचरण नहीं करना चाहिए, जिससे सांस्कृतिक प्रदूषण हो और पूजा की पवित्रता पर आँच आए।