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दहेज प्रथा पर निबध 300 शब्द में/ Dahej pratha pr niband 250 Word me

दहेज प्रथा पर निबध 300 शब्द में/ Dahej pratha pr niband 250 Word me

दहेज प्रथा : एक अभिशाप 

दहेज- समस्यादहेज भारतीय समाज के लिए अभिशाप है। यह कुप्रथा घुन की तरह समाज को खोखला करती चली जा रही है। इसने नारी जीवन और सामाजिक व्यवस्था को तहस-नहस करके रख दिया है।

दहेज- एक बुराई दुर्भाग्य से आजकल दहेज की माँग जबरदस्ती की जाती है दूल्हों के भाव लगते हैं। बुराई की हद यहाँ तक बढ़ गई है कि जो जितना शिक्षित है, समझदार है, उसका भाव उतना ही तेज है। आज डॉक्टर, इंजीनियर का भाव दस-पंद्रह लाख, आई०ए०एस० का चालीस-पचास लाख, प्रोफेसर का आठ-दस लाख ऐसे अनुपढ़ व्यापारी, जो खुद कौड़ी के तीन बिकते हैं, उनका भी भाव कई बार कई लाखों तक जा पहुँचता है। ऐसे में कन्या का पिता कहाँ मरे ? वह दहेज की मंडी में से योग्यतम वर खरीदने के लिए धन कहाँ से लाए ? बस यहीं से बराई शुरू हो जाती है।

दुष्परिणामदहेज-प्रथा के दुष्परिणाम विभिन्न हैं। या तो कन्या के पिता को लाखों का दहेज देने के लिए घूस, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, काला बाजार आदि का सहारा लेना पड़ता है, या उसकी कन्याएँ अयोग्य वरों के मत्थे मढ़ दी जाती हैं। हम रोज समाचार-पत्रों में पढ़ते हैं कि आमुक शहर में कोई युवती रेल के नीचे कट मरी, किसी बहू को ससुराल वालों ने जलाकर मार डाला, किसी ने छत से कूदकर आत्महत्या कर लो। ये सब घिनौने परिणाम दहेज रूपी दैत्य के ही हैं।

रोकने के उपायहालाँकि दहेज को रोकने के लिए समाज में संस्थाएँ बनी हैं, युवकों से प्रतिज्ञा-पत्रों पर हस्ताक्षर भी लिए गए हैं, कानून भी बने हैं, परन्तु समस्या ज्यों की त्यों है। सरकार ने ‘दहेज निषेध’ अधिनियम के अंतर्गत दहेज के दोषी को बड़ा दंड देने का विधान रखा है। परन्तु वास्तव में आवश्यकता है- जन-जागृति की। जब तक युवक दहेज का बहिष्कार नहीं करेंगे और युवतियाँ दहेज लोभी युवकों का तिरस्कार नहीं करेंगी। तब तक यह कोढ़ चलता रहेगा।दहेज अपनी शक्ति के अनुसार दिया जाना चाहिए, धाक जमाने के लिए नहीं। दहेज दिया जाना ठीक है, माँगा जाना ठीक नहीं। दहेज को बुराई वहाँ कहा जाता है, जहाँ माँग होती है। दहेज प्रेम का उपहार है, जबरदस्ती खींच ली जाने वाली संपत्ति नहीं।

दहेज लेना कानूनी अपराध है पकडे जाने पर जेल के साथ साथ और कई कारवाई कि जा सकती है। 

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धन्यवाद

 

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