स्वतंत्रता दिवस पर निबंध | राष्ट्रीय पर्व | Sawatanta diwas pr Essay letter
‘भारत अब स्वाधीन हो चुका, शेष अभी मानवता का रा बहिरंतर गहरचना कर न व्य, उसे सँजोने भू टिक प्रांगणा‘ –
राष्ट्रीय पर्व किसी संप्रदाय, धर्म या जातिविशेष का पर्व नहीं होता। यह समूचे राष्ट्र का पर्व होता है जिसमें सारे धर्मों, संप्रदायों और जातियों के लोग बड़े उल्लास के साथ हिस्सा लेते हैं। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस तथा गाँधी जयंती हमारे राष्ट्रीय पर्व हैं। ‘पर्व’ का अर्थ ‘गाँठ’ होता है। इस दिन हम अपने अतीत को याद करते हैं और राष्ट्र की समृद्धि और उन्नति के लिए संकल्प लेते हैं। इस दिन हम यह ‘गाँठ’ बाँधते हैं कि यह राष्ट्र हमारा है। हम इस राष्ट्र के लिए बलिदान होनेवाले शहीदों को कभी नहीं भूलेंगे और उनके पदचिन्हों पर चलते हुए अपने राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए अपना तन-मन धन सब कुछ राष्ट्रदेवता के चरणों पर समर्पित कर देंगे।
स्वतंत्रता संघर्ष के त्याग और बलिदान की याद दिलाता स्वतंत्रता दिवस– हम भारतवासी प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को अपनी स्वतंत्रता की वर्षगांठ मनाते हैं। इस दिन संपूर्ण देश में (तिरंगा) राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। हम भारतवासी अपने राष्ट्रध्वज के समक्ष उसके सम्मान में राष्ट्रीय गीत गाते हैं। 15 अगस्त को भारत में झोपड़ी हो या महल, शहर हो या गाँव, विद्यालय हो या कार्यालय, ट्रेन हो या बस, वायुयान हो या जलयान सब जगह तिरंगा लहराता हुआ दिखाई पड़ता है। विद्यार्थियों की उमंग तो देखते ही बनती है। सभी शिक्षण संस्थाओं में यह राष्ट्रीय पर्व बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। सरकारी और निजी संस्थाओं में भी इस दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं। इसकी पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का संदेश प्रसारित होता है।स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) हमारा पुनीत राष्ट्रीय पर्व है। इन पर्व को मनाने के पीछे हमारा एक उद्देश्य है कि हम उन वीर सपूतों को याद करें जिनके त्याग और बलिदान के चलते हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई। आज के दिन हम अपने शहीदों को याद कर अपने भीतर प्रेरणा का अनुभव करते हैं। वास्तव में यह ही हमें सतर्क करता है कि स्वतंत्रता की रक्षा करना हमारा नैतिक दायित्व है। प्रत्येक भारतवासी को आज के दिन भारत की समृद्धि और अखंडता की सुरक्षा के लिए दृढ़ प्रतिज्ञा करनी चाहिए। स्वतंत्रता का अर्थ स्वच्छंदता नहीं होता। स्वच्छंदता स्वतंत्रता के अर्थ को खंडित करती है। हम स्वतंत्र हैं इसका अर्थ सिर्फ यहीं हुआ कि हम देश के हित में अपना हित समझते हैं। हमें स्वतंत्रता तो प्राप्त हो पर हमारे चिंतन और आचरण से अब भी परतंत्रता की गंध आती है। हमें इसे दूर करने का संकल्प लेना होगा।